Best Buddha Story In Hindi | अशांत मन को शांत कैसे करें ?

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Best Buddha Story In Hindi | अशांत मन को शांत कैसे करें ?

Best Buddha Story In Hindi | अशांत मन को शांत कैसे करें ? – दोस्तों, आज की इस ब्लॉग पोस्ट में, मैंने आपको गौतम बुद्ध की एक ऐसी कहानी (Gautama Buddha Story In Hindi) के बारे में बताया है।

इस कहानी Buddha Story In Hindi को पढ़कर आप बहुत अच्छे से समझ जाएंगे कि अपने अशांत और दुखी मन को शांत करके एक सुखी और खुशहाल जीवन कैसे जी सकते हैं।

दोस्तों, आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि मन के हारे हार है और मन जीते जीत है। ज्यादातर आपकी सभी समस्याओं की जड़ यह मन और इसकी अशांति है। इसीलिए मैं आज आपके लिए इस ब्लॉग पोस्ट के जरिए आपकी इस समस्या का हल लेकर आई हूँ।

कहानी को Best Buddha Story In Hindi ध्यान से पढ़ें और इसके भावों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। उम्मीद है कि आपको आज की यह पोस्ट पसंद आएगी। इसलिए चलिए, आइए जानते हैं कि अशांत मन को शांत कैसे किया जा सकता है।

प्रस्तावना

“दोस्तों, क्या आपने भी कभी एक बात महसूस की है? क्या आपने भी कभी सोचा है कि जब हमारी जिंदगी बोहोत अच्छी गुजर रही होती है, रहने के लिए एक प्यारा सा घर होता है, पेट भरने के लिए अच्छा भोजन होता है, पहनने के लिए अच्छे कपड़े होते हैं, और एक परिवार होता है।

ये सब हमारे पास होता है, लेकिन बस एक चीज है जो नहीं है – वो है मन की शांति। सब कुछ होने के बाद भी मन बोहोत अशांत सा रहता है। जैसे ही आप कभी अकेले में बैठते हैं, तो वह अशांति आपके ऊपर हावी हो जाती है, जिसका कारण भी आपको पता नहीं होता।

आपका मन क्यों बेचैन है, आप क्यों परेशान हैं, या इस शांति को कैसे पाया जा सकता है, इसे कहां खोजा जा सकता, आप खुद नहीं जान पाते।

दोस्तों, ऐसे ही कुछ प्रश्नों का उत्तर आपको गौतम बुद्ध की इस (Life Changing Buddha Story In Hindi) दिल छू लेने वाली कहानी में मिल जाएगे?”

कहानी : अशांत मन को शांत कैसे करें ? – ( Life Chnaging Buddha Story In Hindi)

दोस्तों, बहुत पहले की बात है, एक राज्य का राजा अपने अशांत मन से बहुत परेशान था। वह राजा अपने अशांत मन को शांत करने का बहुत प्रयास करता है, लेकिन वह अपने मन को शांत नहीं कर पाता।

वह अपने मन की अशांति से इतना परेशान हो चुका होता है कि वह इसे शांत करने के लिए अलग-अलग तरीकों को अपनाता है, हर संभव प्रयास करता है जो वह कर सकता है।

एक दिन अपनी इसी परेशानी से बहुत परेशान होकर वह अपने राज्य के बड़े-बड़े बिद्वानों को अपने महल में बुलाता है और उनसे मन की शांति का उपाय पूछता है। राज्य के बड़े-बड़े विद्वान उसे कई तरह के उपाय बताते हैं, पर दुर्भाग्यवश कोई भी उपाय काम नहीं करता।

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दिन इसी तरह गुजरते रहते हैं और राजा पहले से भी ज्यादा परेशान हो चुका होता है। फिर एक दिन अचानक एक व्यक्ति राजा के पास आता है और बोलता है, “महाराज, आपके मन को शांत करने का मेरे पास एक उपाय है।”

राजा जैसे ही उस व्यक्ति की बात सुनता है, वह बहुत खुश हो जाता है और उस व्यक्ति से कहता है, “यदि तुमने मुझे मेरे अशांत मन को शांत करने का कोई उपाय बता दिया तो मैं तुम्हें इतना धन दूंगा जितना तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा, और ना ही तुमने जीवन में इतना धन देखा होगा।”

वह व्यक्ति राजा से कहता है कि महाराज, आपके मन की शांति का उपाय मैं तो नहीं बता सकता, पर मैं एक संन्यासी को जानता हूं जो आपका मन शांत कर सकते हैं।

वह बहुत ही पहुंचे हुए सन्यासी हैं। उनकी ख्याति पूरे राज्य में फैली है, पूरे राज्य में उनकी महानता के चर्चे हैं। आप एक बार उस सन्यासी से अवश्य मिले, वह आपकी समस्या का समाधान अवश्य ही कर देंगे।

व्यक्ति की यह बातें सुनकर राजा को बहुत हल्का महसूस हो रहा था। उसे लग रहा था कि शायद अब उसका अशांत मन शांत हो जाएगा और वह खुशी से अपना जीवन जी पाएगा।

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अब राजा उस व्यक्ति से पूछता हैं, “कहां मिलेंगे मुझे यह सन्यासी?” वह व्यक्ति बोला, “यहां से कुछ दूरी पर जो जंगल है, वही उनकी छोटी सी कुटिया है जहां वो रहते हैं। आप वहीं चले जाएं, वह संन्यासी आपको वही मिलेंगे।”

राजा अपने सैनिकों को बुलाता है और सन्यासी से मिलने के लिए जंगल की ओर प्रस्थान करता है। कुछ ही समय में वह सन्यासी के पास पहुंचता है और सन्यासी से कहता है, “हे महात्मन, मैंने आपके बारे में बहुत सुना है।

मैंने सुना है कि आप बहुत पोंहचे हुए सन्यासी हैं। आप लोगों की समस्याओं का हल बता देते हैं। मैं एक राज्य का राजा हूं और बहुत दूर से आपसे मिलने आया हूं, इतना कहकर राजा चुप हो जाता है और देखता है कि संन्यासी उसे अनदेखा कर रहे हैं।

फिर राजा सोचता है कि शायद सन्यासी ने मुझे सुना नहीं, इसलिए राजा फिर से कहता हैं, “है महात्मन, मैंने सुना है कि आप बहुत पहुंचे हुए सन्यासी हैं, क्या आप मेरी समस्या का समाधान भी कर सकते हैं?”

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सन्यासी अभी राजा की किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं देते और बस मौन बने रहते हैं। सन्यासी को मौन देखकर राजा को बहुत आश्चर्य होता है। राजा मन ही मन सोचता है कि सन्यासियों उसे कोई उत्तर क्यों नहीं दे रहे हैं।

अब हार थक्कर राजा मुद्दे की बात पर आता है और सन्यासी से पूछता है, “महात्मन, क्या आप मेरे मन को शांत कर सकते हैं?” राजा की बात सुनकर सन्यासी मुस्कुराते हैं और राजा से पूछते हैं, “तुम्हारा मन अशांत क्यों है?”

राजा कहता है, “वैसे तो मेरे पास सब कुछ है, किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरे पास इतना धन है जिसका मुझे कोई अंदाजा भी नहीं। सभी तरह की सुख सुविधाएं मेरे पास हैं, और राज्य के सभी लोग मेरा बहुत सम्मान करते हैं।

उनके मन में मेरे लिए बहुत आदर है। मैंने अपने जीवन में बहुत सारे दान पुण्य भी किए हैं। बस मेरे जीवन में एक ही चीज की कमी है, कि मेरा मन शांत नहीं रहता है। कभी-कभी यह शांत भी हो जाता है, लेकिन कुछ ही समय बाद अशांति फिर से मुझे घेर लेती है।

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क्या आप मेरे मन को शांत कर सकते हैं? मैं बड़ी आशा और उम्मीद लेकर आपके पास आया हूं, मैं अपने जीवन में सारे उपाय कर चुका हूं, बस आप ही मेरी अंतिम आशा हो।”

राजा की यह सारी बातें सुनकर सन्यासी कहते हैं, “बिल्कुल, मैं तुम्हारे मन को शांत कर सकता हूं।” राजा बहुत खुश हो जाता है और कहता है, “है महात्मन, उसके लिए मुझे क्या करना होगा?”

सन्यासी मुस्कुराते हुए कहते हैं, “तुम कल सुबह मेरे पास आना, पर ध्यान रहे, बिल्कुल अकेले आना।” राजा कहते हैं, “ठीक है, मैं कल सवेरे आपके पास आ जाऊंगा।” आगे सन्यासी कहते हैं, “की एक बात और, ध्यान रहे, अपने अशांत मन को साथ लाना।”

इतना सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ जाता है और सोचता है, “यह कैसी बात है, भला?” राजा कहता है, “महात्मन, आप यह क्या कह रहे हैं? मैं समझ नहीं पाया। कृपया करके एक और बार बताइए।”

सन्यासी राजा से कहते हैं, “मैं तुमसे कह रहा हूं कि तुम कल सुबह जल्दी आना और अपने अशांत मन को साथ लेकर आना, कहीं ऐसा ना हो जाए कि तुम उसे अपने महल में ही छोड़ आओ।”

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सन्यासी की बातें राजा को समझ नहीं आ रही थी। वह सोचने लगा कि यह सन्यासी कोई पागल तो नहीं है, पर क्योंकि सन्यासी राजा की आखिरी उम्मीद थे, उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था।

इसलिए वह सोचता है कि चलो, एक बार प्रयास कर ही लेना चाहिए। अगले दिन राजा सुबह सुबह उठकर अकेले ही सन्यासी के पास पहुंचता है और कहता है, “महात्मन, मैं आ गया।” सन्यासी राजा से कहते हैं, “तुम तो आ गए हो, अच्छी बात है,

लेकिन तुम्हारा अशांत मन कहां है? लाओ अपने अशांत मन को मुझे दे दो, मैं उसे अभी ठीक करके तुम्हें वापस दे दूं।” राजा कहता है, “आप यह कैसी बातें कर रहे हैं?

मैं समझता था कि आप बहुत पहुंचे हुए सन्यासी हैं, लेकिन आप तो इतना भी नहीं जानते कि मन कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे मैं उठाकर आपको लाकर दे दूं। मन तो मेरे भीतर है।” सन्यासी राजा से मुस्कुराते हुए कहते हैं, “ठीक है,

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आओ बैठ जाओ और अपनी आंखें बंद करके अपने उस अशांत मन को अपने भीतर खोजो।” राजा अपनी आंखें बंद करके बैठ जाता है और अपने उस शांत मन को अपने भीतर खोजने का प्रयास करता है। वह बहुत देर तक आंखें बंद करके बैठा रहता है।

बहुत देर तक आंखें बंद करके बैठे रहने के बाद सन्यासी राजा के कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं, “आंखें खोलो।” राजा अपनी आंखें खोलता है।

सन्यासी राजा से पूछते हैं, “क्या तुम्हें तुम्हारा शांत मन मिला?” राजा कहता है, “नहीं, मुझे मेरा अशांत मन अभी तक नहीं मिला।” सन्यासी राजा से कहते हैं, “चलो, कोई बात नहीं, अब तुम कल प्रयास करना।

आज के लिए इतनी खोज पर्याप्त थी।” इतना सुनकर राजा सन्यासी से आज्ञा लेकर अपने महल वापस लौट जाता है।

अगले दिन फिर सुबह सुबह राजा सन्यासी के पास पहुंच जाता है और वैसा ही करता है जैसा उसने कल किया था। राजा अपनी आंखें बंद करके बैठ जाता है और अपने उस अशांत मन को अपने भीतर खोजने का प्रयास करने लगता है।

बहुत देर तक राजा अपनी आंखों को बंद किए बैठा रहता है। थोड़ी देर बाद सन्यासी फिर से राजा के कंधे पर हाथ रखते हैं और कहते हैं, “क्या तुम्हें तुम्हारा अशांत मन मिला?” राजा बड़ी शांत आवाज में सन्यासी से कहता है, “नहीं,

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मुझे मेरा अशांत मन आज भी नहीं मिला।” सन्यासी राजा से कहते हैं, “ठीक है, कोई बात नहीं, आज के लिए इतना ही पर्याप्त है। अब तुम कल फिर आना।” आज फिर से राजा सन्यासी से आज्ञा लेकर अपने महल को वापस लौट जाता है।

अगले दिन सुबह फिर राजा सन्यासी के पास पहुंचता है और बिल्कुल वैसा ही करता है जैसा वह पिछले 2 दिनों से कर रहा था। वह अपनी आंखें बंद करता है और बैठ जाता है और अपने उस अशांत मन को खोजने का प्रयास शुरू कर देता है।

राजा अपनी आंखें बंद करके बैठा रहता है। उधर सन्यासी आज राजा के कंधे पर हाथ रखकर उसकी आंखें नहीं खुलवाते। राजा बस अपनी आंखें बंद करके बैठा रहता है।

काफी समय बीत जाता है, वह फिर भी बैठा रहता है। इस बीच, सन्यासी राजा के पास ही बैठे रहते हैं। पूरा दिन बीत जाता है, पूरी रात बीत जाती है, पर राजा अपनी आंखें नहीं खोलता। वह अपनी आंखें बंद करके बस बैठा रहता है और अपने उस अशांत मन को ढूंढ़ रहा होता है।

ऐसा करते करते एक पूरा दिन बीत जाता है। अगले दिन सुबह, राजा की आंखें खुलती हैं, और जैसे ही राजा की आंखें खुलती हैं, राजा अपने आप को सन्यासी के चरणों में नतमस्तक कर देता है और कहता है, “कि यह सन्यासी, मुझे मेरा अशांत मन तो कहीं नहीं मिला,

पर वह शांति जिसे मैं ढूंढ रहा था, वह मुझे जरूर मिल गई। आप धन्य हैं, मैं जीवन भर आपका शुक्रगुजार रहूंगा कि आपने मुझे इस शांति को खोजने में मेरी सहायता की।”

निष्कर्ष: इस कहानी से आज हमने सीखा….

दोस्तों इस कहानी Buddha Story In Hindi से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हमारा मन अशांत हो, तो हमें उसे शांत करने के लिए बाहरी सामग्री की तलाश करने की बजाय, अपने अंदर की गहराइयों में जाने की कोशिश करनी चाहिए।

हमें अपनी भीतरी शांति को पहचानने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि शांति वास्तव में हमारे हृदय में होती है, न कि बाहरी दुनिया में।

सन्यासी ने राजा को यह सिखाया कि शांति को पाने के लिए हमें ध्यान और साधना की आवश्यकता होती है, और कभी-कभी इसमें कुछ समय लग सकता है।

हमें अपने अशांत मन को खोजने में विश्वास रखना चाहिए और इस प्रक्रिया को धैर्य से और प्रतिरोध न करके आगे बढ़ना चाहिए।

इस कहानी से Best Buddha Story In Hindi हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन के समस्याओं और तनावों का सही समाधान हमारे अंदर ही हो सकता है, और शांति की खोज में हमें आत्मविश्वास और धैर्य की आवश्यकता होती है।

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FAQ

क्या धैर्य और संयम अशांत मन को शांत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं?

हां, धैर्य और संयम अशांत मन को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये हमें अपने आंतरिक सुकून की दिशा में मदद करते हैं।

अपने अंदर की शांति का पता कैसे लगाएं?

आप अपने अंदर की शांति को पहचानने के लिए ध्यान और साधना का सहारा ले सकते हैं, और इसके लिए कहानी में दी गई सलाह आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।

क्या यह संभव है कि मन कभी शांत नहीं हो सकता?

नहीं, मन को शांत करना संभव है, लेकिन इसके लिए ध्यान, साधना, और संयम की आवश्यकता होती है, जैसे कि कहानी में दिखाया गया है।

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Hello दोस्तों मैं Chanchal Sagar हूँ। मैं kahaniadda.com इस हिंदी Blog में आपका स्वागत करती हूँ। मेरी कल्पनाएँ, मेरा संवाद और मेरा प्रेम कहानियों के माध्यम से आपके साथ साझा करना मुझे खुशी देता है।

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