Best Gautam Buddha Story In Hindi | अच्छों लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ?

Best Gautam Buddha Story In Hindi | अच्छों लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ?

Best Gautam Buddha Story In Hindi | अच्छों लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ?

Best Gautam Buddha Story In Hindi | अच्छों लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ? – स्वागत है आपका आज के इस ब्लॉग में। दोस्तों ऐसा माना जाता है कि बुद्ध की कहानियां आपके जीवन से सीधे जुडी होती हैं। यही कारन है कि Gautam Buddha Story In Hindi For Life पूरी दुनिया में बोहोत लोकप्रिय हैं। गौतम बुद्ध की कहानियों से हमें जो सीख मिलती है उसकी तुलना करना संभव नहीं है।

इसीलिए आज हम आपके लिए ऐसी ही एक जीवन को बदल देने वाली कहानी  Best Gautam buddha story in hindi लेकर आए हैं। जिसका शीर्षक है – अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है? मैं उम्मीद करती हूँ गौतम बुद्ध की ये कहानी आपको पसंद आएगी। मुझे आशा है कि आप इस कहानी से बोहोत कुछ सीख कर जायेंगे। इसीलिए कहानी को अंत तक जरूर पढ़ें।

प्रस्तावना

दोस्तों, कई बार आपके मन में भी यह सवाल उठता होगा कि आखिर अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है? कई बार आप सोचते होंगे कि आप तो कभी किसी के साथ बुरा नहीं करते, हमेशा सबकी मदद करते हैं सबका ख़याल रखते हैं, फिर भी आप अपनी खुद की जिंदगी में खुश नहीं होते।

क्योंकि शायद जो सम्मान, प्यार और भरोसा आप दूसरों को देते है वह उनसे आपको नहीं मिल पाता। आपके इतना अच्छा होने के बाद भी लोग आपके साथ गलत करते हैं। फिर एक दिन आपके मन में एक प्रश्न उठ खड़ा होता है, कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों?

अगर आपको भी यह सवाल परेशान कर रहा है, तो आप आज की यह कहानी Gautam Buddha Story In Hindi For Life बोहोत ध्यान से पढ़ें। यह कहानी आपके मन के सभी प्रश्न हल कर देगी।

कहानी: अच्छों लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ? – (Gautam Buddha Story In Hindi For Peace)

दोस्तों आज की ये कहानी Gautam Buddha Story In Hindi For Life एक ऐसे क्रूर और निर्दई राजा के बारे में है। जिसकी क्रूरता और निर्दयता के चर्चे पूरे साम्राज्य में प्रसिद्ध थे। एक बार उसने निश्चय किया कि वह अपने सारे बुरे कामों को छोड़ देगा तथा नेकी का रास्ता अपनाएगा।

ऐसा सोचकर वह भगवान बुद्ध की क्षरण में गया और उसी दिन से उसने अपने सारे बुरे कामों को करना बंद कर दिया। उसने वह सब किया जिससे की वह एक अच्छा इंसान बन सके।

लेकिन जैसे ही उसने अच्छाई का रास्ता अपनाया उसके जीवन में कष्टों का पहाड़ टूट पड़ा। उसके जीवन में दुखों का सैलाब सा आ गया और उसका जीवन पहले से भी बदतर हो गया। अपनी इसी समस्या को लेकर वह बुद्ध के पास पोंहचा।

अथवा बुद्ध से उसने प्रश्न किया कि हे बुद्ध अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ? तथा अच्छाई के रास्ते पर चलकर खुद के साथ बुरा होने से कैसे रोकें? तो चलिए जानते हैं कि महात्मा बुद्ध ने उस राजा को कौन सा रास्ता बताया।

कैसे उसके जीवन से दुखों को दूर किया ? एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ संघ में बैठे थे, और ज्ञान चर्चा का विषय आरम्भ था। शिष्य अनेक प्रकार के प्रश्न बुद्ध से पूछ रहे थे तथा बुद्ध उन प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे।

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तभी वहां  मगध सम्राट अजातशत्रु आ जाते हैं। राजा गौतम बुद्ध को प्रणाम करके कहते हैं कि हे बुद्ध आपसे मिलने से पहले मैं एक निर्दई और खूंखार सम्राट के रूप में प्रसिद्द था। मेरी क्रूरता के चर्चे विश्व भर में थे। लोग मेरा नाम सुनते ही भय से कांपने लगते थे।

लोगों में मेरा डर था लेकिन जबसे मैं आपका अनुयायी बना हूँ। नेकी के रस्ते पर चलने लगा हूँ तब से सभी लोग मेरे सीधेपन का गलत फ़ायदा उठा रहे हैं। पहले मैं किसी कि जान लेने से पहले एक पल के लिए भी नहीं सोचता था।

और छोटी छोटी गलतियों के लिए भी अपराधियों को मृत्यु दंड की सजा सुना देता था। लोग मुझे मृत्यु का दूसरा रूप मानते थे। पड़ोसी राज्य हमेशा इसी खौफ में रहते थे कि पता नहीं मैं कब उनपर हमला करके उन्हें बर्बाद कर दूँ।

मेरे भय और क्रूरता के चलते कोई भी राज्य मेरे खिलाफ षड़यंत्र रचने या मगध पर हमला करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। लेकिन जबसे मैं आपकी  शरण में आया हूँ, आपके अहिंसा के विचारों को जीवन में आपनाया है।

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तब से लोगों के बीच मेरा भय बिलकुल ख़त्म हो गया है। मेरे राज्य में अपराधों कि संख्या बढ़ गई है। रोज नित्य नए अपराध होते रहते हैं। मेरे सेनापति और मंत्री मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ षड़यंत्र रचते हैं।

पड़ोसी राज्य मगध साम्राज्य की सीमाओं कि जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं। और मगध के व्यापारियों के व्यापार में बाधा उत्पन्न करते हैं। सम्राट अजातशत्रु आगे कहते है कि मैं आपके अहिंसा के विचारों को समझता हूँ

लेकिन मेरे मन में एक प्रश्न है। आपकी आज्ञा हो तो मैं वह प्रश्न आपसे पूछना चाहता हूँ। बुद्ध बोले कहो तुम्हारा क्या प्रश्न हैं। अजातशत्रु ने कहा, एक राजा का कर्त्तव्य है कि वह अन्याय के खिलाफ युद्ध करे।

अपने राज्य के नियमों का प्रजा से सख्ती से पालन करवाए। लेकिन इसमें हिंसा तो होगी ही, लोगों को दुःख दर्द भी होगा, खून भी बहेगा। तो क्या एक अपराधी को दंड देना अनुचित है? क्या अपने राज्य  के लिए, अपनी संपत्ति के लिए, अपने परिवार कि सुरक्षा के लिए युद्ध करना गलत है?

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बुद्ध मुस्कुराए और बोले अजातशत्रु इससे पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूँ। मैं तुम्हे एक कहानी सुनाना चाहता हूँ इससे तुम्हे अपने प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा। एक बार एक भिक्षु एक गांव से गुजर रहा था। रस्ते में उसे एक पीपल का पेड़ मिला।

उसने सोचा क्यों ना कुछ देर इस पेड़ के नीचे आराम कर लिया जाए। ऐसा सोचकर भिक्षु जैसे ही उस पेड़ की तरफ बढ़ता है। तो कुछ लोग उसे रोककर कहते हैं कि वंहा मत जाइए। अगर आप सुरक्षित रहना चाहते हैं तो वहां मत जाइए।

इतना सुनकर भिक्षु पहले तो सोच में पड़ गया फिर लोगों से इसका कारण पूछा। भिक्षु के पूछने पर लोग बताते हैं कि वंहा एक बोहोत ही जहरीला सांप रहता है। जो बोहोत लोगों को डस चुका है।

वह इतना खतरनाक है कि जो कोई भी उसके सामने आता है। या इस वृक्ष के नीचे बैठता है वह उसे डस कर मार देता है। वह जिस भी वृक्ष में रहता है लोग उस वृक्ष के पास से गुजरने से भी डरते हैं। बच्चे उसके नीचे खेलने के बारे में सोचते भी नहीं हैं।

भिक्षु मुस्कुराता है और कहता है कि एक दिन तो सबको मरना ही है। अगर मुझे आज मरना होगा तो उसे कोई नहीं रोक सकता। यदि आज मेरी मृत्यु होनी है तो होकर ही रहेगी। यह कहकर भिक्षु आगे बढ़ जाता हैं और पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता हैं।

भिक्षु को वहां बैठा देख कर सांप उसे काटने के लिए नीचे आता है। और अपना फैन उठाकर उसे काटने के लिए आगे बढ़ता है। लेकिन सांप को आता देख भिक्षु तनिक भी नहीं घबराया। वह पूरे शांत चित्त के साथ वंही बैठा रहा। 

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यह देख सांप को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह कैसा मनिष्य है। जहाँ सब लोग मुझे देखते ही थर थर कांपने लगते है। यह इतने आराम से ध्यानमग्न होकर बैठा है। सांप अपनी जीभ बाहर निकालते हुए बोला कि हे महात्मा मैं एक बोहोत ही जहरीला सांप हूँ। क्या तुम्हे मौत से डर नहीं लगता कि मैं तुम्हे मार दूंगा।

भिक्षु सांप से कहता हैं कि इसमें डरने वाली कौन सी बात है। मैं जीवन और मृत्यु से ऊपर हो चुका हूँ। मुझे किसी बात का डर नहीं है। मुझे मृत्यु से कोई भय नहीं है न ही जीवन कि कोई लालसा है। तो मैं तुमसे क्यों भयभीत होऊंगा?

भिक्षु ने सांप को उपदेश दिया कि तुम जो कर रहे हो वह हिंसा है। तुम्हारे काटने से लोगों को बोहोत पीड़ा होती है। और कई बार तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है। तुम जो भी करते हो इसीलिए करते हो ताकि कोई तुम्हे मार ना दे।

भयभीत तो तुम हो और अपने इसी डर के कारण तुम सबको मार देते हो। भिक्षु कि बातें सुनकर सांप हैरान हो जाता है। उसने आज तक केवल ऐसे ही व्यक्ति देखे थे जो उसे मारने कि कोशिश करते थे। और उससे डरकर भाग जाते थे।

पहली बार उसने ऐसे किसी व्यक्ति को देखा था जो उससे डरा नहीं बल्कि निर्भय होकर उससे बात कर रहा है। भिक्षु की बात सुनकर सांप के अंदर वैराग्य जाग गया। उसने निश्चय किया कि आज के बाद वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

किसी को नहीं काटेगा और ना ही किसी को डराएगा। सांप भिक्षु के पैरों में गिरकर कहता है कि हे महात्मा मैंने आज तक जो कुछ भी किया सिर्फ अपनी जान बचाने के लिए किया है। यदि मैं यह रूप धारण नहीं करता तो लोग मुझे मार देते।

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भिक्षु ने कहा, तुम बिलकुल सही कह रहे हो। लेकिन यदि तुम इस जीवन के मोह से मुक्त होना चाहते हो तो शांत हो जाओ। यह समझ लो कि आज नहीं तो कल यह जीवन ख़त्म हो ही जायेगा।

जब इस जीवन को ख़त्म हो ही जाना है तो इसके लिए कोई गलत काम करने कि क्या जरूरत है। इतना कहकर भिक्षु वहां से चला जाता है। भिक्षु की बातें सुनकर सांप यह तय कर लेता है कि आज से वह सारे गलत काम छोड़ देगा। वह न ही किसी को डसेगा और न ही किसी को डरायेगा।

धीरे धीरे यह खबर पूरे गांव में फैल गई कि सांप अहिंसक हो गया है। उसने काटना भी छोड़ दिया है और डराना भी। इसके बाद लोगों ने सांप से डरना ही छोड़ दिया। जो लोग पहले उससे डरकर भागते थे, अब वही उसे मारने कि कोशिश करने लगते हैं। लोग उसे बेवजह ही छेड़ते उसे चोट पोंहचाते हैं।

जब भी वह बच्चों को दिखाई देता तो बच्चे उसकी पूंछ पर पैर रख देते उसे पत्थर मारते। लेकिन सांप किसी को नुकसान नहीं पोंहचाता। भिक्षु की बातों का उसपर कुछ ऐसा असर हुआ कि उसने कीड़े मकोड़ों को खाना भी छोड़ दिया था।

रात में कुछ घांस फूंस खा लेता और  सुबह लोगों के आक्रमण और तिरस्कार का सामना करता। इससे सांप बेहद दुखी रहने लगा। भूख और पीड़ा से वह बिलकुल कमजोर हो गया था।

उसका शरीर इतना कमजोर हो गया था कि गांव वाले उसे एक रस्सी से ज्यादा और कुछ नहीं समझते थे। वह तरह तरह कि चोट से ग्रस्त रहने लगा। क्योंकि अब वह लोगों को कोई भी नुक्सान नहीं पोंहचाता था। वह सभी लोगों के साथ प्रेम से रहने कि कोशिश करता था।

लेकिन लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। क्योंकि लोगों के मन से उसका डर ख़तम हो गया था। अब जैसे तैसे सांप के दिन गुजर रहे थे। कुछ दिन बाद वही भिक्षु जिसने सांप को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था, वापस उसी रास्ते से गुजर रहा था।

वह फिर उसी वृक्ष के नीचे जाकर बैठ गया। बैठते ही भिक्षु की नजर सांप पर पड़ती है। लेकिन जैसे ही वह उस सांप को देखता है हैरान रह जाता है। वह सोच में पड़ जाता है कि इसकी हालत इतनी ख़राब कैसे हो गई?

Life Changing Gautam Buddha Story In Hindi

वह सोचता हैं कि इस सांप की हालत पहले कैसी थी और अब कैसी हो गई है। भिक्षु सांप को देखकर उससे पूछता है कि तुम इस अवस्था में कैसे पोंहचे? तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गई? तुम तो इतने तंदरुस्त और बलशाली थे।

सारा गांव तुमसे खौफ खाता था और आज ऐसी अवस्था में कैसे पोहोंच गए। भिक्षु की बातें सुनकर सांप भिक्षु की और देखता है और कहता कि जबसे आपने मुझे समझाया है।

तब से मैंने दूसरों को नुक्सान पोंहचाना बंद कर दिया है। लेकिन अब लोग मेरे साथ इस तरह का व्यवहार करने लगे हैं। मुझे चोट पोंहचाने लगे हैं, बड़े तो बड़े बच्चे भी मुझसे नहीं डरते।

अब आप ही बताएं मैं क्या करूँ ? भिक्षु कहते हैं हे मित्र मैंने तुमसे ये नहीं कहा था कि तुम अपने स्वाभाव को ही बदल दो। क्रूरता तुम्हारा स्वाभाव है यदि तुम्हारा यह स्वाभाव ही नहीं रहेगा तो लोग तुम्हे मार डालेंगे।

तुम्हारे स्वाभाव में क्रूरता का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि तुम अंदर से अपना उद्देश्य ही गलत रखो। तुम्हे भीतर से अपने आप को सही रखते हुए बाहर से सबको वही दिखाना होगा जो जरुरी है।

सांप एक जहरीला जीव है इसीलिए लोगों के मन में उसके लिए डर होना जरूरी है। क्योंकि यदि उनके मन में तुम्हारे लिए डर नहीं होगा तो वह तुम्हे हानि ही पोंहचायेंगे। परन्तु तुम्हे भीतर से खुद को सही रखना होगा।

तुम्हे लोगों को नुकसान नहीं पोंहचाना है बल्कि उनके अंदर अपना डर बनाना है। ताकि वो तुम्हे चोट ना पोंहचा पाएं। अपना हित चाहना भी तुम्हारी ही जिम्मेदारी है। तुम्हे जिम्मेदारी से सोचना और समझना चाइए। कहानी यहीं समाप्त होती है।

Life Changing Gautam Buddha Story In Hindi

कहानी को समाप्त करते हुए महात्मा बुद्ध राजा से कहते हैं हे राजा अजातशत्रु तुम इस कहानी से क्या सीखे ? इस कहानी को सुनकर तुम्हे क्या समझ आया? बुद्ध आगे कहते है

इसका अर्थ यही है.. अजातशत्रु कि अपराधियों में तुम्हारा भय होना चाहिए। उन्हें उनके अपराध कि सजा भी मिलनी चाहिए। परन्तु ध्यान रहे न्याय करने वाला अपनी निजी शत्रुता के कारण किसी को दंड ना दे।

बल्कि अपराधी को उसके अपराध और दुष्कर्मों कि सजा ही मिलनी चाहिए। यदि क्रोध लोभ और ईर्ष्या बीच में आ जाएगी तो न्याय कभी नहीं हो पायेगा। बुराई को भलाई से जीतो, यदि बुराई भलाई पर हावी होने लगी तो मनुष्यता का नाश होगा।

यदि बुराई को हटाने के लिए युद्ध भी करना पड़े तो वह भी करो। लेकिन कभी भी उस युद्ध कारण तुम स्वयं ना बनों। यदि युद्ध करना ही पड़े तो सही उद्देश्य के लिए करो।

Inspirational Gautam Buddha Story In Hindi

अजातशत्रु ने महात्मा बुद्ध के सामने हाथ जोड़ दिए और कहा कि हे बुद्ध आपकी इन बातों ने मेरे अंदर के सारे प्रश्न और सारी उथलपुथल को शांत कर दिया है। अब मैं सारी बात समझ चूका हूँ।

धन्य है मेरा भाग्य जो मेरे जीवन में आप पधारे। इसके बाद अजातशत्रु बुद्ध से आज्ञा लेकर महल में वापस चले जाते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों आज की इस कहानी Inspirational Gautam Buddha Story In Hindi से आप इसका भाव समझ ही गए होंगे। मैंने बोहोत ही सरल शब्दों में इस कहानी को आपको समझाने की कोशिश की है। मुझे आशा है आपको आज की यह कहानी पसंद आई होगी।

आपको कहानी Motivational Gautam Buddha Story In Hindi कैसी लगी comment में जरूर बताएं और इस Gautam Buddha Story In Hindi को दोस्तों के साथ share भी करें। आपका सहयोग मेरे लिए बोहोत कीमती है।

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