5 Best Gautam Buddha Story in Hindi (2023) | गौतम बुद्ध की कहानियां

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5 Best Gautam Buddha Story in Hindi (2023) | गौतम बुद्ध की कहानियां

5 Best Gautam Buddha Story in Hindi (2023) | गौतम बुद्ध की कहानियां, दोस्तों भगवान गौतम बुद्ध के जीवन पर आधारित ऐसी कई कहानियाँ हैं जो आज भी आपके जीवन की हर एक समस्या को हल करने में सक्षम है Gautam Buddha Stories In Hindi आज भी जनमानस का कल्याण और उद्धार करने में सक्षम हैं आज आप 5 बेस्ट गौतम बुद्ध की कहानियां ( Gautam Buddha Story In Hindi ) के बारे में जानेंगे।

Gautam Buddha Story In Hindi आपको जीवन के बारे में बोहोत कुछ सिखा सकती है आज के इस blog post पर अंत तक बने रहें मुझे यकीन है आप यहाँ से बोहोत कुछ सीख कर जायेंगे।

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय (5 Best Gautam Buddha Story in Hindi)

गौतम बुद्ध, जिन्हें भगवान बुद्ध, महात्मा बुद्ध, सिद्धार्थ व शाक्यमुनि नाम से भी जाना जाता है। दुनिया के एक महान धार्मिक और दार्शनिक गुरु थे। गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर लगभग 563 ईसा पूर्व में हुआ था

और उनकी मृत्यु – 483 ईसा पूर्व में हुई, गौतम बुद्ध एक आध्यात्मिक शिक्षक थे जो ईसा पूर्व छठी और पाँचवी शताब्दी के बीच भारत में रहे थे। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था और माता का नाम माया था।गौतम बुद्ध का बचपन बहुत ही आम था। बुद्ध का जन्म एक धनी परिवार में हुआ था,

वे राजकुमार के रूप में पले थे और उन्हें सभी प्रकार की सुख-समृद्धि मिलती थी। हालांकि, उन्होंने जीवन के अस्थायीता की समझ पाई और एक दिन उन्होंने पूरे संसार की दुखभरी स्थिति का आभास किया। एक दिन वे अपनी सारी धन संपत्ति और स्थिति का त्यागकर

संसार को जन्म-मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के सत्य मार्ग एवं दिव्य ज्ञान की खोज में वन की ओर निकल गए जहां जाकर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गए और अत्यधिक तपस्या और ध्यान की प्रक्रिया में समय व्यतीत करने लगे गौतम बुद्ध ने प्रण किया कि जब तक उन्हें दुख के रहस्य का उत्तर नहीं मिल जाता,

तब तक वह हार नहीं मानेंगे। उन्होंने अनेक साधना और ध्यान की प्रक्रियाओं का अभ्यास किया ताकि वे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति कर सकें। वर्षों के कठोर ध्यान और अध्ययन के बाद, आखिरकार उन्होंने ज्ञान प्राप्त कर ही लिया, और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।

बुद्ध के जीवन के आखरी दिनों में, उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, जिसका मतलब है उनकी आत्मा की अनंत शांति की प्राप्ति। उनका यह जीवन संयम, उपकार, शांति, और आध्यात्मिकता की शिक्षा से भरा था।

1. अश्लील विचारों को कैसे रोके – Best Gautam buddha story in hindi

Gautam Buddha Story in Hindi

यह कहानी एक चंद्रवंशी राजकुमार भरत के बारे में है, जो बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित होकर बुद्ध के सानिध्य में भिक्षु के रूप में दीक्षित हुए। बौद्ध संघ में एक नियम था जो भी भिक्षु दीक्षित होते थे उन्हें भिक्षा मांगने के लिए अलग – अलग जगहों पर जाना पड़ता था। इसीलिए बुद्ध अपने भिक्षुओं को उपदेश देने के साथ साथ भिक्षा मांगने के लिए भी भेजते थे।

एक दिन भरत को महात्मा बुद्ध ने भिक्षा लेने के लिए एक श्राविका के घर पर भेजा। महात्मा बुद्ध को प्रणाम कर भरत भिक्षा मांगने के लिए चल पड़े। भरत रास्ते में चलते हुए सोच रहे थे कि ना जाने आज खाने में क्या मिलेगा। मेरे महल में तो हमेशा खाने के लिए अनगिनत स्वादिष्ट भोजन मिलते थे, तरह तरह के व्यंजन मिलते थे। 

लेकिन आज जो भी मिलेगा, उसी से काम चलाना पड़ेगा। ऐसा सोचते सोचते भारत श्राविका के घर पोहोंच गए और भिक्षा के लिए याचना की। श्राविका ने भरत को घर के अंदर बुलाया और बैठने के लिए कहा। और भारत को भिक्षा देने के लिए भोजन लेने अंदर चली गई। श्राविका जब अन्दर गयी थी तो, भरत पुन: अपने प्रिय भोजन के बारे में सोच रहे थे।

उनके मन में अभी भी महल के वही स्वादिष्ट व्यंजन घूम रहे थे। साथ ही वे श्राविका के रूप को देख कर भी मोहित थे। श्राविका को देख कर भरत एक अलग ही प्रकार की अनुभूति महसूस कर रहे थे। इतने में श्राविका भोजन लेकर आ गई।

जब श्राविका भोजन लेकर आई तो भरत अचम्भित रह गए, भरत ने देखा कि उनके सामने उनका वही प्रिय भोजन रखा हुआ है। जिसके बारे में वो रस्ते भर सोचते आए हैं। अपने प्रिय भोजन को देखकर भरत खुश हो गए और भिक्षा ग्रहण करने लगे। भिक्षा ग्रहण करते हुए भरत सोचने लगे की उनको हमेशा खाना खाने के बाद कुछ विश्राम करने की आदत हैं।

ठीक वैसे ही जैसे वे अपने महल में किया करते थे, लेकिन आज उन्हें यहाँ से खाना ग्रहण करने के बाद चिलचिलाती धूप से होकर वापस आश्रम पहुंचना हैं। भोजन हो जाने पर श्राविका ने भरत को कुछ समय विश्राम करने के लिए आग्रह किया, भरत पुन: खुश हो गए। सारी इच्छाओं की पूर्ति होते देख भरत इसको एक संयोंग मानकर कुछ देर के लिए लेट गए।

लेटते हुए भरत सोचने लगे, कि आज तो सोने को मिल गया, लेकिन मेरे सर पर से हमेशा के लिए छत का साया तो मिट ही गया हैं। ये सब सोचते सोचते भरत सो गए। जब भरत सोकर पुन: उठे तो श्राविका ने कहा की आपको जब तक यहाँ पर रहना हैं आप यहाँ पर ठहर सकते हैं। इतना सुनते ही भरत के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।

अब भरत समझ गए की ये कोई संयोग नहीं हैं. श्राविका जरुर मेरा मन पढ़ रही हैं। भरत खड़े हुए. भरत ने श्राविका से पूछा – मुझे क्षमा कीजिये पर क्या आप मेरा मन पढ़ सकती हैं? आप यह सब कैसे कर लेती हैं? श्राविका ने कहा – शुरू शुरू में मेरे लिए ये कठिन था। लेकिन मैंने खुद के विचारों को देखना शुरू किया। शुरू में मेरे विचारों की संख्या अनगिनत थी,

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पर मैंने अपना पूरा ध्यान उन विचारों पर केन्द्रित किया। मैंने बिना पक्ष विपक्ष के अपने विचारों को देखना जरी रखा। धीरे धीरे मेरे विचारों की संख्या कम होती गयी। मेरे सारे व्यर्थ विचार दूर होते गए। तब से मैं दूसरों के विचार पढ़ लेती हूँ। यह सब सुनकर भरत घबरा गए। भरत ने श्राविका से आज्ञा ली और, वहां से निकल पड़े।

रास्ते में चलते हुए भरत अपने मन के विचारों का स्मरण करने लगे। भरत के मन में श्राविका के बारे में अश्लील विचार आयें, श्राविका ने उनके के बारे में क्या सोचा होगा। भरत को खुद पर शर्म आ रही थी, वह बोहोत लज्जित महसूस कर रहे। रस्ते भर वो खुद को लज्जित महसूस करते रहे और थोड़ी ही देर में वह आश्रम पहुंचे गए।

भरत ने बुद्ध से कहा की अब से वह कभी भिक्षाटन के लिए नहीं जायेंगे। बुद्ध ने भरत को नीचे बैठाया और कहा – क्या हुआ तुम मुझे अपनी व्यथा विस्तार से बताओ। भरत ने बुद्ध को सारी बात विस्तार से बताई। भरत की बातों को सुनकर बुद्ध ने कहा कि आज से सात दिनों के लिए श्राविका के घर पर भिक्षा के लिए तुम ही जाओंगे।

लेकिन तुमको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा। कल तुम जाते हुए अपने चित को पूरे होश में रखना। तुम्हारे अन्दर कौन से विचार उठ रहे हैं, कैसे विचार उठ रहें हैं उन पर ध्यान केन्द्रित करना। होशपूर्ण और जाग्रता के साथ ध्यान करना कि कौन सी वासना तुम्हारे भीतर उठ रही हैं। इन सभी का ध्यान करते हुए जाना और फिर वापस आकर मुझसे विचार विमर्श करना। अगले दिन भरत बुद्ध के बताये अनुसार – पूरे मार्ग में अपने होश को जाग्रत रखते हुए चल रहे थे।

 भरत आज पूरी तरह से जागे हुए थे। जैसे जैसे श्राविका का घर नजदीक आ रहा था, भरत की घबराहट बढ़ रही थी। उन्हें लग रहा था कि कही वो अश्लील विचार उनके मन में फिर से ना आ जाएं।  खैर भरत ने अपनी घबराहट को एक तरफ करते हुए बुद्ध के विचारों पर ध्यान केन्द्रित किया। जब भरत श्राविका के घर पर पहुंचे तो, उसके दिमाग में केवल एक सन्नाटा था।

जिसके भीतर कोई वासना नहीं, कोई कामना नहीं, ना कुछ अच्छा पाने की इच्छा थी ना कुछ खोने का डर था। भिक्षु भरत ने भिक्षा ली, ग्रहण की और वहां से वापस निकल गए। आज भरत रास्ते में नाचते हुए आए। आज उसको जिस आनंद की अनुभूति हुई, वह अद्भुत थी। आज से पहले इस आनंद को उन्होंने कभी महसूस नहीं किया था। भरत ख़ुशी से झूमते हुए आश्रम पोंहचे और वाहन जाकर बुद्ध को प्रणाम किया।

बुद्ध को प्रणाम कर उन्होंने सारी बात बुद्ध को बता दी। भरत की बात सुनकर आगे बुद्ध कहते हैं कि सभी लोगों के मस्तिष्क में रोज हजारों सवाल आते और जाते है। हजारों बातें आती है जिनपर काबू पाना उनके लिए असंभव सा लगता है, क्योंकि जब विचारों का आना शुरू होता है तब हम होश में नहीं होते। विचार आते रहते हैं और हम उन्हें अपना मान लेते हैं।

यही गलती हर कोई करता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति उन सभी विचारों पर पूरा ध्यान केंद्रित करे, और अपने मष्तिष्क को जाग्रत रखे तो वह जान सकता है कि कौन सा विचार सही है, और कौन सा विचार गलत है। और जब आप ऐसा करना सीख जाते हैं तो किसी भी तरह के विचारों को काबू में किया जा सकता हैं।

धीरे धीरे एक ऐसा समय भी आता है जब आपके मन में कोई विचार नहीं होता। होता है तो सिर्फ एक सन्नाटा, जहाँ आपको असीम शांति का अनुभव होता है। 

सीख

दोस्तों आज की इस Best Gautam buddha story in hindi कहानी को पढ़कर आप इस कहानी का भाव समझ ही गए होंगे। आप समझ गए होंगे कि अपने विचारों को कैसे काबू करना है। और जब आपके विचार काबू में हो जाते हैं, तो आपका मन भी काबू में हो जाता है।

आप जानते ही है कि हर व्यक्ति अपने मन के कारन ही बनता है, और मन के कारण ही बिगड़ता है। आशा करती हूँ आपको कहानी पसंद आई होगी। Comment में जरूर लिखें की आपको कहानी कैसी लगी और दोस्तों के साथ share भी करें।

2. बुद्ध की सीख – Life Changing Gautam Buddha Story In Hindi

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बोहोत समय पहले की बात है महात्मा बुद्ध उपदेश देने के लिए मगध देश के किसी गांव में पहुंचे उस गांव का मुखिया क्रोधी तानाशाह और रूढ़िवादी विचारों का व्यक्ति था वह अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता था उसे लगता था कि वही सबसे सर्वश्रेठ है वह अपने आप को काली मां का भक्त बताकर मांस मदिरा का सेवन किया करता था।

निरीह जानवरों की बलि चढ़ाता तथा “अहिंसा ही परम धर्म है” वाला उपदेश उसे तनिक भी नहीं भाता था। जब उसे गांव में बुद्ध के आने की खबर मिली तो उसने बुद्ध के वहां पहुंचने से पहले ही….उसने ग्रामवासियों को भड़काना शुरू कर दिया उसने गांव में घोषणा करवा दी की एक पाखंडी सन्यासी अपने कुछ शिष्यों के साथ गांव में धर्म का उपदेश देने के बहाने लोगों को मूर्ख बनाकर ठगने आ रहा है।

इसीलिए कोई भी ग्रामवासी उसके उपदेश को ना सुने ना ही उसे दान अथवा भिक्षा दें। जो व्यक्ति आदेश का पालन नहीं करेगा उसे दंडित किया जाएगा। महात्मा बुध जब गांव में पहुंचे तो वहां मौत का सा सन्नाटा देखकर स्तब्ध रह गए। बुद्ध को बड़ा आश्चर्य हुआ की आखिर गांव के सभी लोग कहा चले गए सारे ग्राम वासियों ने घरों के दरवाजे बंद कर रखे थे।

कोई भी महात्मा बुद्ध के स्वागत के लिए बाहर नहीं आया। महात्मा बुद्ध को किसी ने मुखिया के आदेश की सूचना दे दी। महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों को लेकर मुखिया की हवेली पर पहुंचे और भिक्षा के लिए द्वार पर पुकार लगाई। कुछ देर बाद मुखिया स्वयं ही द्वार पर आया और क्रोधित स्वर में बोला क्यों व्यर्थ ही चिल्ला रहे हो।

Life Changing Gautam Buddha Story In Hindi

तुम लोग युवा हो, स्वस्थ हो, हट्टे कट्टे हो, फिर भी भीख मांग कर खाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती। तुम धर्म के नाम पर सीधे साधे लोगों को ठगते फिरते हो। मुखिया की बात सुनकर महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और बोले वत्स संचित संपत्ति तो केवल जीवन काल तक ही संचित रहती है, मरने के बाद कुछ साथ नहीं जाता।

धर्म और कर्म ही अंत में मनुष्य के साथ जाते हैं। क्रोध अहंकार और घृणा तो विवेकहीन मनुष्य का सहारा है। वत्स विवेकहीन और दूसरों का अहित सोचने वाला मनुष्य पशु के समान होता है। बुद्ध की बात सुनकर मुखिया का क्रोध उबल पड़ा। मुखिया ने बुद्ध पर चिल्लाते हुए कहा कि नीच पागल भिखारी तू मुझे उपदेश दे रहा है,

जानता नहीं मैं गांव का मुखिया हूं। तू मेरी तुलना पशु से कर रहा है। चुपचाप यहां से चला जा इसी में तेरी भलाई है। महात्मा बुद्ध ने शांत स्वर में कहा ठीक है वत्स, यह गांव तुम्हारा है ग्रामवासी भी तुम्हारे हैं मैं तुम्हारे आदेश को मानकर यहां से चला जाता हूं। परंतु मेरे मन में एक प्रश्न उठ खड़ा हुआ है क्या तुम उसका समाधान कर दोगे?

बुद्ध की बात सुनकर मुखिया ने प्रश्न भरी दृष्टि से उनकी और निहारा। बुद्ध ने कहा मैं तुम्हारे द्वार पर भिक्षा के लिए आया हूं यदि तुम्हारे मन में मेरे प्रति श्रद्धा हो जाती और तुम मुझे दीक्षा देने के लिए आते परंतु तुम्हारे द्वारा दी जा रही भिक्षा लेने का मेरा मन ना होता तो मैं उसे अस्वीकार कर देता।

Life Changing Gautam Buddha Story In Hindi

तो बताइए कि मेरे अस्वीकार करने पर वह भिक्षा किसे प्राप्त होती? मुखिया ने कुछ देर सोचने के बाद बोला क्या मूर्खों जैसा प्रश्न किया है सन्यासी, अरे जब तुमने भिक्षा स्वीकार ही नहीं की तो निसंदेह भिक्षा मुझे ही प्राप्त होगी। बुद्ध बोले बिल्कुल सही कहा तुमने…मैं भिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से तुम्हारे पास आया था,

लेकिन तुमने भिक्षा में मुझे क्रोध अहंकार अपशब्द निंदा तिरस्कार आदि देना चाहा। जो मैंने नहीं लिया क्योंकि उनकी मुझे आवश्यकता नहीं। अब बताइए कि यह सब किसको प्राप्त होंगे? बुध की बात सुनकर मुखिया सोच में पड़ गया। महात्मा बुद्ध के प्रश्न का उसके पास कोई उत्तर नहीं था। उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा,

देखते ही देखते उसके भीतर छिपे अहंकार क्रोध और दूसरे अवगुण भाग निकले। उसके मन में दया धर्म और प्रेम ने स्थान बना लिया। अपने बुरे व्यवहार के कारण वह बहुत शर्मिंदा हो गया….और बुद्ध के चरणों में गिर कर गिड़गिड़ाने लगा। मुझे क्षमा कर दो सन्यासी। आपने मुझे अंधकार से बाहर निकालकर प्रकाश में खड़ा कर दिया है,

वास्तव में मैं विवेक हीन था। भगवान बुद्ध ने मुखिया को आशीर्वाद दिया और कहा वत्स अहम को त्यागो अहिंसा परम धर्म है। हर प्राणी के प्रति करुणा और प्रेम का भाव रखो, शुभ कर्मों के साथ धर्म का पालन करते रहो, उद्धार होगा। कहकर महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ दूसरे गांव की ओर चल पड़े। मुखिया हाथ जोड़े ठगा सा चुपचाप खड़ा देखता रह गया।

सीख 

दोस्तों जीवन में हमें दो तरह के लोग मिलते हैं। एक सकारात्मक और दूसरे नकारात्मक और इन दोनों ही तरह के लोगों का सामना हमें करना पड़ता है। बुरे लोगों से हमें उनकी बुरी चीजें प्राप्त होती हैं जबकि अच्छे लोगों से हमें अच्छी चीजें मिलती हैं। जैसे कि भगवान बुद्ध ने इस कहानी में कहा कि उन्हें गांव के मुखिया से क्रोध अहंकार अपशब्द और तिरस्कार मिला।

लेकिन उन्होंने इन्हें लिया नहीं तो सारी बुरी चीजें मुखिया के पास ही रह। इसी तरह यह आप पर निर्भर करता है कि आप दूसरों से क्या लेते हैं। जीवन जीने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हर किसी इंसान की अच्छी चीजों को ग्रहण करते जाएं और बुरी चीजों को छोड़ते जाएं।

3. ‘कर्म ही प्रधान’ है – Latest Gautam buddha Story In Hindi  

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अक्सर हम बोहोत सी जगहों पर ये पढ़ते और सुनते हैं कि ‘कर्म ही प्रधान’ है कर्म ही सबकुछ है। लेकिन बस हम ये देखते या सुनते हैं, उसपर कभी गहराई से नहीं सोचते। हम बस चाहते हैं कि हमे सबकुछ मिल जाए। लेकिन उसके लिए उतने प्रयास नहीं करते जितने हमें करने चाहिए। इसीलिए हमें आलस्य और आरामदायक जिंदगी से थोड़ा अलग हटकर अपने कार्य पर ध्यान देना चाहिए।

साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कौन से कार्य हमारे लिए ज्यादा जरुरी हैं। जिस तरह प्रत्येक महापुरुष ने कर्म की प्रधानता को स्वीकारा है, उसी तरह गौतम बुद्ध भी कर्म की प्रधानता को स्वीकारते हैं। गौतम बुद्ध के जीवन के इस प्रेरणादायक प्रसंग Latest Gautam buddha Story In Hindi में बुद्ध ने हमें कर्मों का महत्व समझाया है।

साथ ही इस प्रेरणादायक प्रसंग में महात्मा बुद्ध ने ये भी समझाया है कि कौन सा कार्य कब महत्वपूर्ण है। तो चलिए जानते हैं बुद्ध ने इस प्रसंग के द्वारा हमें क्या समझाने कि कोशिश की है। अपना सारा राजपाठ छोड़ कर महात्मा बुद्ध ने सन्यास ले लिया था वे शहर – शहर गांव – गांव घूम कर लोगों को उपदेश देते थे।

एक बार गौतम बुद्ध अपने एक किसान भक्त के यहाँ प्रवचन के लिए गए थे। किसान ने शाम के समय उनके प्रवचन का आयोजन किया। सारे ग्रामवासियों को भी सुचना दे दी कि शाम को उसके यहाँ महात्मा बुद्ध का प्रवचन है। बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित हुए, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था

जिसने प्रवचन का आयोजन किया था। किसान को प्रवचन में अनुपस्थित देख गांव के लोगों में कानाफूसी होने लगी कि ये कैसा भक्त है। प्रवचन का आयोजन करके स्वयं ही गायब हो गया। क्या उसे इतना भी पता नहीं कि आज उसके यहाँ महात्मा बुद्ध का प्रवचन है। जब उस भक्त की कोई सूचना नहीं मिली जिसने प्रवचन का आयोजन किया था,

तो बुद्ध ने उसके बिना ही प्रवचन शुरू कर दिया और गांव के सभी लोगों ने बड़े प्रेम और आदर के साथ बुद्ध का प्रवचन सुना। प्रवचन ख़त्म होने के बाद सभी लोग अपने अपने घर चले गए। रात में किसान घर पोंहचा और बुद्ध के समक्ष उपस्थित हुआ बुद्ध ने पूछा कहाँ चले गए थे? गांव के सभी लोग तुम्हे पूछ रहे थे। किसान ने कहा तथागत दरअसल प्रवचन कि सारी व्यवस्था हो गई थी। पर तभी अचानक मेरा बैल बीमार हो गया।

पहले तो मैंने घरेलु उपचार करके उसे ठीक करने की कोशिश की, जो संभव प्रयास मैं कर सकता था मैंने किया, लेकिन जब उसकी तबियत ज्यादा ख़राब होने लगी. तो मुझे उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास जाना पड़ा। अगर नहीं ले जाता तो वह नहीं बचता। हे बुद्ध आपका प्रवचन तो मैं बाद में भी सुन लूंगा।

Latest Gautam buddha Story In Hindi 

अगले दिन जब गांव वाले पुनः बुद्ध के पास आये तो उन्होंने किसान कि शिकायत करते हुए कहा यह तो आपका भक्त होने का दिखावा करता है। प्रवचन का आयोजन कर स्वयं ही गायब हो जाता है। बुद्ध ने उन्हें पूरी घटना सुनाई और फिर समझाया कि मेरे किसान भक्त ने प्रवचन सुनने कि जगह कर्म को महत्व देकर यह सिद्ध कर दिया कि मेरी शिक्षा को उसने बिलकुल ठीक ढंग से समझा है।

उसे अब मेरे प्रवचन की आवश्यकता नहीं है। मैं अपने प्रवचन में यही तो समझाता हूँ कि अपनी विवेक और बुद्धि से सोचो कि कौन सा काम पहले किया जाना जरुरी है। यदि किसान बीमार बैल को छोड़ कर मेरा प्रवचन सुनने को प्राथमिकता देता तो दवा के बगैर बैल के प्राण निकल जाते।

उसके बाद तो मेरा प्रवचन देना ही व्यर्थ हो जाता। मेरे प्रवचन का सार यही है कि सब कुछ त्याग कर प्राणी मात्र की रक्षा करो। अपने द्वारा किए जा रहे कर्मों पर ध्यान दो, सही कर्म करो। इस घटना के माध्यम से गांव वालों ने भी उनके प्रवचन का भाव समझ लिया और सभी वापस अपने घर लौट गए। 

सीख 

दोस्तों शुरुआत में मैंने आपको एक बात बताई थी, कि हमें ये याद रखना बोहोत जरुरी है की कौन से काम पहले करने हैं और कौन से बाद में। बुद्ध की ये कहानी Latest Gautam buddha Story In Hindi पढ़कर आप इस बात को और भी अच्छे से समझ गए होंगे। साथ ही आप ये भी समझ गए होंगे… कि हमारे जीवन में कर्मों का क्या महत्व है। कर्मों के महत्व को समझिये और जिस समय जो जरुरी है वही कीजिये।

4. दुखों और समस्याओं से बाहर कैसे आएं? – Gautam buddha story in hindi For Life

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दोस्तों समस्याएं किसके जीवन में नहीं होती? हर किसी के जीवन में कोई ना कोई समस्या कोई न कोई दुःख परेशानी होती ही है। इस धरती पर शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसके जीवन में समस्या या किसी प्रकार का दुःख ना हो।

ये समस्याएं हमें अंदर तक झकझोर कर, हमें तोड़ कर रख देती हैं। जिन्हे सह पाना कई बार असंभव सा लगता है। जब भी आप किसी परेशानी में फंसते हैं तो उस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए आप वो सब करते हैं।

जो उस समय आप कर सकते हैं। लेकिन फिर भी स्थिति जस की तस बनी रहती है। तो अब सवाल उठता है कि इन समस्याओं से इन परेशानियों और दुखों से बाहर कैसे आएं? क्या करें जिससे हमारे जीवन में सुख आये?

दोस्तों अगर आप भी किसी ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं। जहाँ आपको कुछ समझ नहीं आ रहा तो ये कहानी एक बार जरूर सुनें। इस कहानी में आपके सभी उत्तर निहित हैं। तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।

एक बार की बात है सुबह सुबह गौतम बुद्ध भिक्षुओं की सभा में बुद्ध पधारे। सभी शिष्य सभा में उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। थोड़ी देर बाद शिष्यों को गौतम बुद्ध सामने से आते हुए दिखाई दिए। शिष्य यह देखकर बहुत ही चकित हुए कि बुध पहली बार अपने हाथ में कुछ लेकर आए हैं।

उनके हाथ में एक रुमाल था। शिष्यों में कानाफूसी शुरू हो गई कि आज बुद्ध इस रुमाल के साथ क्या करने वाले हैं। लेकिन बुद्ध के हाथों में वह रुमाल देख कर शिष्य इतना तो समझ ही चुके थे, कि जरूर इस रुमाल का कुछ ना कुछ कोई विशेष प्रयोजन जरूर होगा।

बुद्ध के आने के बाद शिष्यों ने बुद्ध को प्रणाम किया और प्रतीक्षा करने लगे कि अब बुद्ध कुछ कहेंगे। बुद्ध अपने आसन पर पधारे, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने रुमाल लिया और उस रुमाल में कुछ कुछ दूरी पर 5 गांठें लगा दी। यह सब देखकर सभी शिष्य सोच रहे थे

कि अब बुद्ध क्या करेंगे। बुद्ध ने अपने शिष्यों से पूछा कि क्या कोई मुझे यह बता सकता है कि यह वही रुमाल है जो गांठ लगाने से पहले था। इसपर बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र ने कहा कि इसका उत्तर देना तो कठिन है गुरुदेव। एक तरह से देखें तो यह वही रुमाल है क्योंकि इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

Gautam buddha story in hindi For Life

और अगर दूसरी दृष्टि से देखें तो इस रुमाल में पहले पांच गांठें नहीं लगीं थी। अतः यह पहले जैसा नहीं रहा क्योंकि अब इसमें पांच गांठें है। और जहाँ तक इसकी मूल प्रवत्ति का प्रश्न है यह अपरिवर्तित है। क्योंकि यह पहले भी एक रुमाल था और अब भी एक रुमाल है। इस रुमाल का केवल बहिए रूप बदला है। लेकिन जो मूल पदार्थ है वो वही का वही है और उसकी मात्रा भी उतनी ही है। बुद्ध ने कहा तुम सही कहते हो सारिपुत्र।

अब मैं इन सभी गांठों को खोल देता हूँ। यह कहकर बुद्ध रुमाल के दोनों सिरों को एक दूसरे के विपरीत खींचने लगे। बुद्ध ने कहा तुहे क्या लगता है सारिपुत्र इस प्रकार से खींचने पर क्या मैं इन गांठों को खोल पाऊंगा? सारिपुत्र ने कहा नहीं तथागत इस प्रकार से तो आप इन गांठों को और अधिक सूक्ष्म सघन और मजबूत बना देंगे

और ये कभी नहीं खुलेंगी। बुद्ध ने कहा ठीक है अब तुम मेरे अंतिम प्रश्न का उत्तर दो। मुझे इन गांठों को खोलने के लिए क्या करना चाहिए? सारिपुत्र ने कहा तथागत इसके लिए सर्वप्रथम निकटता से मुझे यह देखना होगा कि यह गांठेंकैसे लग गई हैं। ये जाने बिना मैं इन्हे कभी नहीं खोल पाउँगा। बुद्ध ने कहा तुम सत्य कहते हो सारिपुत्र, तुम धन्य हो।

क्योंकि यह प्रश्न सबसे ज्यादा आवश्यक है और यह एक मूलभूत प्रश्न है।जिस भी समस्या में तुम पड़े हो उससे बहार निकलने के लिए ये जानना जरुरी है कि तुम पहले ये जानों की तुम उससे ग्रसित क्यों हुए। यदि तुम यह बुनियादी बात नहीं जानोगे या उसका मौलिक परिक्षण नहीं करोगे तो समस्या और अधिक गहरा जाएगी।

इस संकट को दूर करने के लिए यह आवश्यक है। तुम अपने अंदर झांको, देखो कि तुम्हारे मन के अंदर जो गांठें लगी हैं। उन गांठों को तुम कैसे निकाल सकते हो। उसके लिए तुम्हे अपनी मन की गांठों को खोलना होगा और उसे ध्यानपूर्वक देखना और समझना होगा।

लेकिन संसार में सभी ऐसा ही कर रहे हैं। हम काम से, क्रोध से, मोह से, लोभ से, हकार से, परिग्रह से और ना जाने किस किस चीज से, कैसी कैसी वृत्तियों से, कैसे निकलें यही प्रश्न उनके मन में रहता है। लेकिन वह कभी यह नहीं पूछते कि हम इन वृत्त्तियों में इन प्रवत्तियों में कैसे पड़ गए हैं। जब तक हम यह नहीं जानेंगे कि हम इन प्रवत्तियों में कैसे पड़े हैं,

 तब तक हम यह नहीं जान पाएंगे कि हम इनसे कैसे बाहर निकलें। पहले तो जरुरी ये है की हम ये जानें कि हम इन सब में कैसे पड़े हैं। तभी हम इन गांठों को खोल पाएंगे और फिर से रुमाल की तरह फ़ैल कर अपने आकार को प्राप्त करेंगे।

सीख 

दोस्तों कई बार हम बोहोत सी बुरी परिस्थितियों में फंस जाते हैं। और चाहते हैं कि बस किसी भी तरह इन परिस्थितियों से बाहर निकल जाएँ।और इन समस्याओं से बाहर निकलने के लिए हम हर तरह के प्रयत्न करते हैं, हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन हम बस एक चीज नहीं करते जो कि बोहोत जरुरी है। वो है ये जानना कि हम इन समस्याओं में कैसे पड़े। जैसा कि बुद्ध ने इस कहानी में कहा है।

समस्या आने पर सबसे पहले ये सोचो कि आप उसमें कैसे पड़े और जब आप इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ लोगे तो आपको उन परिस्थितियों से बाहर निकलने का रास्ता भी मिल जायेगा। बुद्ध इस कहानी के द्वारा जो समझाने की कोशिश कर रहे हैंआप समझ भी गए होंगे। तो आज से ही समस्याओं पर नहीं उनके होने के कारन पर ध्यान दें और जब कारण पता चल जाये तो उन्हें ख़तम करने की कोशिश करें।

5. मोक्ष की प्राप्ति  – Gautam buddha story in hindi For Peace

Gautam Buddha Story in Hindi

एक समय की बात है। भगवान गौतम बुद्ध के शिष्यों के मन में एक प्रश्न उठा। सभी शिष्य जानना चाहते थे कि मोक्ष की प्राप्ति कैसे होती है। कौन सा ऐसा तरीका है जिससे मोक्ष को प्राप्त किया जा सके? अपने प्रश्न का उत्तर जानने के लिए सभी शिष्य बुद्ध के पास पोहोचे। शिष्य बुद्ध से कहते हैं, “हे तथागत, हमारे मन में एक प्रश्न है।”

बुद्ध बोले, “पूछो, क्या पूछना चाहते हो?” शिष्य बोले, “हे बुद्ध, हम जानना चाहते हैं कि मोक्ष की प्राप्ति कैसे होती है?” शिष्यों के आग्रह पर उन्होंने एक कहानी का आरम्भ किया।


यह कहानी थी एक जल्लाद और भिक्षुक की। एक जल्लाद मगध राजमहल के पीछे बने एक कस्बे में रहता था। वह मगध साम्राज्य का प्रमुख जल्लाद था। उसका सारा जीवन दोषियों को फांसी देने में बीत गया। अब वह लगभग 60 वर्ष की आयु का हो चुका था।

जल्लाद अब राजकीय सेवा से मुक्त हो चुका था और अपना अंतिम जीवन वह अपने घर में व्यतीत करता था। अपने जीवनकाल में किए सभी घटनाक्रमों को याद करता और पश्चाताप करता। “मेरे हाथों इतने जीवों की हत्या हुई,” यही विचार करते हुए वह नहा धोकर तैयार हो गया और भोजन के लिए बैठ गया।

लेकिन जैसे ही वह खाने के लिए बैठा, दरवाजे पर कुछ आवाज आईं। उसे लगा कि दरवाजे पर कोई है। जल्लाद बाहर निकलकर देखता है, तो एक भिक्षु उनके द्वार पर खड़े हैं। जो जान पड़ता है कि काफी दिनों की तपस्या के बाद वह उठे हैं और भूख से व्याकुल हैं। समीर तत्काल अपना वह भोजन जो स्वयं के खाने के लिए था, वह भिक्षुक को समर्पित कर देता है।

भिक्षुक भोजन ग्रहण करते हैं, जिससे उनकी भूख शांत होती है, और भिक्षुक जल्लाद से बहुत प्रसन्न होते हैं। भोजन के पश्चात भिक्षुक और जल्लाद बैठते हैं। तभी जल्लाद ने अपने जीवन में किए गए कार्यों को भिक्षुक के सामने प्रकट किया। समीर ने बताया कि उसने राजकीय सेवा के दौरान अनेकों कैदियों अथवा अपराधियों को मृत्यु दंड दिया,

Gautam buddha story in hindi For Peace

जिसके कारण मुझे खुद पर अपराध बोध होता है, और ग्लानि के भाव से मैं सदैव ग्रस्त रहता हूँ। भिक्षुक, जिन्हें विचारशील और शांत चित्तवाले जाना जाता था, समीर की बातें सुन रहे थे, और रह-रहकर मुस्कुरा रहे थे। समीर ने अपने जीवन की प्रत्येक घटनाओं को भिक्षुक के सामने रख दिया।

समीर की सभी बातें समाप्त होने के बाद भिक्षुक ने उसे दोनों हाथों से उठाया और ह्रदय से लगा लिया, कहा, “वत्स, क्या तुमने ये सब स्वयं अपनी इच्छा से किया या फिर किसी के आदेश के कारण?” जल्लाद ने कहा, “नहीं, ये सब मैंने अपनी इच्छा से नहीं किया।

ये सब तो मैंने राजा के आदेश पर किया। राजा जैसा कहते थे, मैं वैसा ही करता था। राजा के आदेश पर ना जाने मैंने कितनों को सूली पर चढ़ा दिया। मैं खुद को उन सबका दोषी मानता हूँ।” भिक्षुक कहते हैं, “वत्स, अगर तुमने सबकुछ राजा के आदेश पर किया है, तो फिर तुम दोषी कैसे हो सकते हो?

तुमने तो अपने स्वामी के आदेश का पालन किया है।” ऐसा कहकर भिक्षुक ने उस जल्लाद को धम्म के उपदेशों को सुनाया। उपदेश पूर्ण होने पर भिक्षुक वापस लौट गए। जैसे ही जल्लाद भिक्षुक को विदा करके वापस आता है, उसकी मृत्यु हो जाती है, जिसके उपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Gautam buddha story in hindi For Peace

कहानी का अंत होते ही महात्मा बुद्ध शांत हुए। महात्मा बुद्ध के शिष्य इस पूरी घटना को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे। उन्होंने महात्मा बुद्ध से पूछा कि जिसने जीवन भर अनेकों हत्याएं की, वह मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकता है। महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और अपने शिष्यों को समझाया, “जिसने जीवन में पहली बार ज्ञान की प्राप्ति की हो, अंत समय जब निकट आए,

और ज्ञान के शब्द उसके कानों में पड़े हों, वह मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है।” महात्मा बुद्ध ने बताया कि हजारों हजार शब्दों के उपदेश व्यर्थ हैं, जब तक व्यक्ति का मन शांत ना हो। मन शांत होने पर एक शब्द से भी ज्ञान प्राप्त हो सकता है। ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज की गौतम बुद्ध कि इन 5 बेस्ट गौतम बुद्ध की कहानियां (Gautam buddha story in hindi) को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे की गौतम बुद्ध की शिक्षाएं और गौतम बुद्ध की कहानियां हमारे जीवन पर कितना गहरा प्रभाव डालती हैं। आज की इस पोस्ट में मैंने आपको गौतम बुद्ध की 5 प्रेरणादायक कहानियों से अवगत कराया है।

गौतम बुद्ध की ये कहानियां Gautam buddha story in hindi For Peace आपके जीवन को बेहतर बनाने में बोहोत मदत करेंगी। गौतम बुद्ध की कहानियां हमारे लिए आदर्श हैं। गौतम बुद्ध के उपदेशों को अपनाकर हम अपने जीवन को सफलता और आत्मा-साक्षात्कार की ओर बढ़ा सकते हैं। उनकी कहानियां हमें धार्मिक और मानवता के महत्वपूर्ण मूल्यों को सीखाती हैं,

जो हमारे जीवन को अर्थपूर्ण और प्रामाणिक बनाते हैं। गौतम बुद्ध की कहानियाँ हमें उनके महानतम उपदेशों को समझने का अवसर प्रदान करती हैं और हमें एक बेहतर और शांतिपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।

मैं आशा करती हूँ कि इस Gautam buddha story in hindi For Success ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको गौतम बुद्ध से सम्बंधित पूरी जानकारी मिल गई होगी, अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो comment जरूर करें और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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FAQ

  1. गौतम बुद्ध के उपदेश क्या थे?

    गौतम बुद्ध ने चार नोबल सत्यों को सिद्ध किया: दुख, उसके कारण, उसका निवारण, और मोक्ष का मार्ग।

  2. क्या गौतम बुद्ध की जीवनी में कोई महत्वपूर्ण घटनाएं थीं?

    हां, गौतम बुद्ध की जीवनी में कई महत्वपूर्ण घटनाएं थीं, जैसे कि उनका महापरिनिर्वाण, महाबोधि, और सार्नाथ में उनका पहला उपदेश देना।

  3. गौतम बुद्ध के उपदेश किस प्रकार से मानव जीवन को सुधार सकते हैं?

    गौतम बुद्ध के उपदेश मानव जीवन में सहमति, ध्यान, और समर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

  4. क्या बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध की मूर्तियों की पूजा करते हैं?

    हां, बौद्ध धर्म के अनुयायी गौतम बुद्ध की मूर्तियों की पूजा करते हैं, लेकिन यह पूजा साधना के रूप में नहीं की जाती, बल्कि उनके उपदेशों को अपनाने के रूप में होती है।

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